बोलो किससे पूछा, किससे पूछा रे !
तुमसे पूछा, हमसे पूछा,
बोलो इससे पूछा, उससे पूछा,
किससे पूछा?
तुमको तो है बिजली की माया
हम पर तो है मौत की छाया |
ऐसा, ऐसा भी क्या तुमने सोचा?
किससे पूछा?
सेवक तुम हमरे कहलाते
हमारी राय कभी ना लेते
प्रजा का तंत्र रहेगा ओछा
किससे पूछा?
हमको है रोजी की भूल
तुमको रंगरेली का शौक
भूखों मरेगा क्यों देश समूचा,
किससे पूछा?
सुनो सुनो रे अणुबिजली तो है खतरे से खाली नहीं !!
शुरू से लेकर आखिर तक तो यह विकिरण फैलाती है |
जल, स्थल, वायु, नभ को भी वह विष की घूँट पिलाती है |
यंत्रों की गड़बड़ से अब तक दुर्घटनाएं हुईइन कईं |
कुदरत के प्रकोप से बचना संभव है सदीव नहीं |
कभी मानव से चूक न हो इसी स्थिति होनेवाली कहीं?
सुनो सुनो रे अणुबिजली तो है खतरे से खाली नहीं ||
तस्कर चोरों ने तो अब तक कच्चा माल चुराया है |
तोड़फोड़ और लूटपाट का खतरा यहाँ समाया है |
और अगर हो युद्ध कभी तो बनाती सहज निशाँ यही |
शत्रु के हाथों में अणु बम हो जाएगा भान नहीं?
उसके लिए उपहार ला रही चांदी की थाली में वही
सुनो सुनो रे अणुबिजली तो है खतरे से खाली नहीं ||
छिड़ा आज संघर्ष जगत में जीवन और मरण का
खडा मरण के सम्मुखीन हो दल है नवजीवन का |
भूमि पर अधिकार जमा कर, आता को निज दासी बनाकर.
रहें चूसते उसको जी भर, उन्हें चैन नहीं क्षण का
श्रम, संतोष व मेलजोल में सुख है सहजीवन का |
छिड़ा आज संघर्ष जगत में जीवन और मरण का ||
जीवन का संगीत आज है गूंजा मीठे स्वर से,
वन-वन की गहरी छाया से, सरिता के मर्मर से |
बाँध बाँध कर बहते जल को, काट काट कर घर जंगल को
सिस्थापित कर तोड़े दिल को, लानत उस पर बरसे ||
जो प्रकृति से प्रीति रखते उन पर निसर्ग हरसे
जीवन का संगीत आज है गूंजा मीठे स्वर से |
जीवन के इस भव्य घोष में आशा का सन्देश
तभी बचोगे अगर बचेगा प्रकृति का परिवेश ||
भूमि का तुम क्षरण मिटाओ, अणु विकिरण जड़मूल हटाओ
विलासिता को शीघ्र भगाओ, मिट जाएंगे द्वेष
अणुमुक्ति के कुछ नारे -
- नरबली का नया प्रकार, अणु कारखाना काकरापार
- तब तक न हो खुशहाली, ऊर्जा की जब तक बर्बादी |
- जानलेवा अणु कचरा - कैसी धरोहर?
- विकिरण जहरी सांप है, अणु ऊर्जा अभिशाप है
0 comments:
Post a Comment